5 साल में बदल गए पंजाब के राजनीतिक समीकरण

  • खत्म हुआ अकाली-भाजपा गठबंधन
  • कांग्रेस से दूर हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह
  • अलग-अलग प्लेटफार्म पर कई दिग्गज

चंडीगढ़ : पंजाब में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के बाद राज्य के राजनीतिक समीकरण पर नजर डालने से कई रोचक तथ्य सामने आते हैं। पिछले चुनाव के दौरान कई नेता जिस बैनर तले खड़े होकर पंजाबवासियों से वोट मांग रहे थे, इस बार उनका वह बैनर बदल चुका है।

वर्ष 2017 में कांग्रेस पार्टी का मुख्य चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह थे। कांग्रेस ने अमरिंदर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और 77 सीटों पर जीत दर्ज की। वर्तमान में अमरिंदर सिंह कांग्रेस से अलग होकर पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर चुके हैं। अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान शिरोमणि अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था। कृषि कानूनों के मुद्दे पर पिछले साल अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी के बीच गठबंधन टूट चुका है। इस बार अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। उधर, भारतीय जनता पार्टी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब लोक कांग्रेस तथा सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मोर्चा बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने 15 और भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं।

आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव अपने बल पर ही लड़ रही है। अभी तक आप ने पंजाब में किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है। उम्मीद है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी आम आदमी पार्टी अंतिम समय में लोक इंसाफ पार्टी के साथ तालमेल कर सकती है। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 20 सीटें जीती थीं। इस बीच बाद पार्टी के कई विधायक बागी हो चुके हैं और उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया है।

पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस की राह भी इस बार आसान नहीं है। पिछले चुनाव में पार्टी अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में जहां एकजुट थी, इस बार चरणजीत सिंह चन्नी, सुनील जाखड़, नवजोत सिद्धू समेत कई खेमों में बंटी हुई है। ऐसे में यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं होगा।

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