रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी, बढ़ सकती है ईएमआई

  • एसडीएफ और एमएसएफ में भी 0.50 प्रतिशत का इजाफा
  • कॉमर्शियल लोन की दर में भी हो सकती है बढ़ोतरी

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला किया है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया। रेपो रेट बढ़ने के साथ ही एक बार फिर होम लोन, कार लोन या दूसरे कंज्यूमर लोन की ईएमआई का बढ़ना भी कमोबेश तय है। कॉमर्शियल लोन की दरों में भी इसकी वजह से इजाफा हो सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिए गए फैसले के साथ ही रेपो रेट मौजूदा 4.40 प्रतिशत से बढ़कर 4.90 प्रतिशत हो गया है। बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट की दर में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला सर्वसम्मति से किया।

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक में स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (एसडीएफ) में भी 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला किया गया। इस तरह एसडीएफ भी अब मौजूदा 4.15 प्रतिशत से बढ़कर 4.65 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को भी 0.50 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। इस बढ़ोतरी के बाद मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी की दर भी 4.65 प्रतिशत से बढ़कर 5.15 प्रतिशत हो गई है।

आरबीआई गवर्नर के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण पूरी दुनिया में महंगाई तेजी से बढ़ी है। इसके साथ ही इस युद्ध की वजह से दुनिया भर की सप्लाई चेन पर भी काफी बुरा असर पड़ा है। दूसरी ओर कोरोना का खतरा अभी भी लगातार दुनिया के कई देशों में बना हुआ है। इन दोनों प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना इसके बावजूद भारत में विकास की रफ्तार लगातार बनी हुई है।

शक्तिकांत दास ने बताया कि महंगाई फिलहाल पूरी दुनिया के लिए एक समस्या बन चुकी है और दुनिया के ज्यादातर देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद भारत को अपने मजबूत फंडामेंटल्स के कारण अभी भी महंगाई के मोर्चे पर अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने से महंगाई पर अंकुश लग सकेगा।

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