आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘राष्ट्रीय आंदोलन और हिंदी साहित्य’ विषय पर संगोष्ठी

कोलकाता : आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर हिंदी विभाग, खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज और भारतीय भाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय आंदोलन और हिंदी साहित्य’ विषय पर कॉलेज के प्रिंसिपल सुबीर कुमार दत्त ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास हमें प्रेरित करता है। भारतेन्दु और जयशंकर प्रसाद सहित हिंदी के दर्जनों लेखकों का उन्होंने जिक्र किया। परिषद की अध्यक्ष डॉ. कुसुम खेमानी ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास हमारे लिए जानने और जीने का आधार है।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमें साहित्य और इतिहास के बीच जीवन के सच को तलाशने की जरूरत है। विषय का प्रवर्तन करते हुए परिषद के निदेशक व प्रख्यात आलोचक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन हमारी आत्मपहचान की पहल है। हमें भारतेन्दु, प्रेमचंद और गांधी के संदर्भ में राष्ट्रीय आंदोलन को समझने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि स्त्री, किसान,दलित और सामाजिक न्याय को हाशिये से केंद्र में लाए बिना आजादी का अमृत महोत्सव की बात बेमानी है। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. वसुंधरा मिश्रा ने किया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. हितेंद्र पटेल ने कहा कि विद्यासागर विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का उभार 1857 से प्रारंभ होता, यह आंदोलन भारत के उपनिवेश से राष्ट्र बनने की प्रक्रिया है जहां राजनीतिक क्रांति के साथ सामाजिक क्रांति की जरूरत को समझा गया है।

दार्जिलिंग गवर्नमेंट कॉलेज की सहायक प्रोफेसर डॉ. श्रद्धांजलि सिंह ने कहा कि दुनिया की आधी आबादी को अधिकार मिले बिना राष्ट्रीय आंदोलन की परियोजना पूरी नहीं हो सकती, राष्ट्रीय आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी ने भी राष्ट्र मुक्ति के साथ सामाजिक मुक्ति का पथ प्रशस्त किया। इस सत्र का संचालन मधु सिंह ने किया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. सत्या उपाध्याय ने कहा कि हमें राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि में हुए विविध आंदोलनों और सुधारों को समझने की जरूरत है।

कल्याणी विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ. विभा कुमारी ने प्रेमचंद के साहित्य पर राष्ट्रीय आंदोलन के प्रभाव को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। प्रसिद्ध समीक्षक और अनुवादक मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन को तीन भागों में बांटते हुए आजादी, भाषा और परिवार के टूटने के स्तर पर चर्चा की। कूचबिहार पंचानन विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. रीता चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय आंदोलन को सिर्फ आजादी से जोड़कर देखने के बजाय हमें समाज के सभी वर्गों के विकास और स्वतंत्रता से जोड़ना चाहिए। इस सत्र का सफल संचालन राहुल गौड़ ने किया। इस अवसर पर आदित्य कुमार गिरि, अमृता कौर, लिली शाह, डॉ. विक्रम साव ने शोध पत्र का वाचन किया। धन्यवाद ज्ञापन खुदीराम बोस सेंट्रल कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ. शुभ्रा उपाध्याय ने किया।

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