कड़ी सुरक्षा में डिब्रूगढ़ की केंद्रीय जेल पहुंचा अलगाववादी अमृतपाल

-डिब्रूगढ़ जेल में खालिस्तान समर्थक कैदियों की संख्या हुई 10

-अलगाववादियों को असम में स्थानांतरित करना पुलिस के आपसी सहयोग का हिस्सा : डॉ. सरमा

डिब्रूगढ़ (असम) : पंजाब से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार अलगाववादी अमृतपाल सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच डिब्रूगढ़ की केंद्रीय जेल पहुंचा दिया गया। इसी बीच अलगाववादियों को डिब्रूगढ़ जेल लाने को असम के मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्व सरमा ने पुलिस के आपसी सहयोग का हिस्सा बताया।

रविवार को कड़ी सुरक्षा में पंजाब पुलिस, सीएपीएफ और अन्य सुरक्षाकर्मी अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को लेकर वायुसेना के विशेष विमान से डिब्रूगढ़ हवाई अड्डे पर पहुंचे। इस विमान को अपराह्न 11 बजे डिब्रूगढ़ के मोहनबाड़ी हवाई अड्डे पर उतरना था, लेकिन खराब मौसम के कारण विमान निर्धारित समय के बजाय दोपहर 12.40 बजे उतरा। अलगाववादी संगठन ‘वारिस दे पंजाब’ के प्रमुख व अलगाववादी अमृतपाल को हवाई अड्डे से सीधे डिब्रूगढ़ केंद्रीय कारागार ले जाया गया।

शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जेल के अंदर और बाहर कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। असम पुलिस और सीएपीएफ अलर्ट पर हैं। जेल के अंदर और बाहर पहले 52 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिला पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया है कि इसके अलावा 12 और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

इसी डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में पहले से ही अमृतपाल के करीबी सहयोगी पप्पलप्रीत सिंह, उसके चाचा और वारिस दे पंजाब का फाइनेंसर और मीडिया सलाहकार हरजीत सिंह और अन्य दलजीत कलसी, बसंत सिंह, गुरमीत सिंह भूखंवाला, भगवंत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, गुरिंदर पाल सिंह और बलिंदर सिंह सहित नौ खालिस्तान समर्थक सदस्य हैं। इस बीच, सुदुर पंजाब से खालिस्तानी अलगाववादियों को असम लाने के सवाल पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि अमृतपाल के सहयोगियों को डिब्रूगढ़ जेल में स्थानांतरित करना पुलिस के आपसी सहयोग का केवल एक हिस्सा है। यह पहली बार नहीं है जब एक राज्य से अपराधियों या भगोड़ों को दूसरे राज्य में स्थानांतरित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि डिब्रूगढ़ जेल में 680 कैदियों को रखने की क्षमता है। सुरक्षा कारणों से यह जेल बेहद सुरक्षित होने का दावा किया जाता रहा है। जेल अधिकारियों के अनुसार, डिब्रूगढ़ जेल राज्य की सबसे सुरक्षित जेल है और पूर्वोत्तर की सबसे पुरानी जेल है। इसी जेल में संयुक्त मुक्ति वाहिनी असम, स्वाधीन (उल्फा-आई) के कई शीर्ष कैडर भी बंद थे।

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