इतिहास के पन्नों में 25 सितंबरः पं. दीनदयाल उपाध्याय के पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेने का दिन

देश-दुनिया के इतिहास में 25 सितंबर की तारीख कई वजहों से याद की जाती है। भारतीय इतिहास में 25 सितंबर की तारीख देश के दो प्रमुख राजनीतिक दिग्गजों के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। जाने-माने विचारक, दार्शनिक और भारतीय जनसंघ के सह संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले में हुआ था। इसी तारीख को 1914 में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल का जन्म हरियाणा में हिसार जिले के तेजाखेड़ा गांव में हुआ था।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जब अपनी स्नातक स्तर की शिक्षा हासिल कर रहे थे, उसी वक्त वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए। वर्ष 1951 में ‘भारतीय जनसंघ’ की नींव रखने में उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का साथ दिया। एकात्म मानवदर्शन के दृष्टा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चिंतक और संगठनकर्ता, जनसंघ के संस्थापक और भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक-वैचारिक अधिष्ठाता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सारा देश उन्हें याद करता है।

‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पहली बार कांग्रेस के सामने कोई विकल्प खड़ा किया। 1951 में जनसंघ की स्थापना कर पहले ही चुनाव में दो लोकसभा सीट जीतकर कांग्रेस की जड़ें हिला दीं। वर्ष 1953 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के असमय निधन से पूरे संगठन की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। पंडित दीनदयाल उपाध्याय को दिसंबर 1967 में कालीकट में जनसंघ का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। जनसंघ में रहते हुए उन्होंने एक ऐसी विचारधारा की नींव रखी जिस पर आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ।

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