श्रीलंकाई प्रधानमंत्री बोले- भारत को छोड़कर कोई नहीं कर रहा हमारी मदद

कोलंबो : आर्थिक संकट से परेशान श्रीलंका की मुसीबत कम होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही हैं। यहां तक अब कोई देश, सिवाय पड़ोसी देश भारत के उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहा है।

इस बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को कहा कि भारत को छोड़कर कोई भी देश संकटग्रस्त देश को ईंधन के लिए पैसे उपलब्ध नहीं करा रहा है। संसद में विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से “जल्द से जल्द” कोलंबो में एक टीम भेजने का आग्रह किया है, ताकि एक कर्मचारी-स्तर के समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। श्रीलंका अगले 6 महीने गुजारा करने के लिए आईएमएफ से 6 बिलियन डॉलर मांग रहा है।

राज्य द्वारा संचालित सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के इंजीनियरों द्वारा नियोजित हड़ताल के संदर्भ में विक्रमसिंघे ने कहा कि कृपया ब्लैकआउट का कारण न बनें, आप चाहे तो तख्तियां लेकर हड़ताल कर सकते हैं। उन्होंने इंजीनियरों से भावुक अपील करते हुए कहा कि अगर आप ऐसा करते हैं, तो मुझसे भारत से मदद मांगने के लिए मत कहिए। कोई भी देश हमें ईंधन और कोयले के लिए पैसा नहीं दे रहा है। भारत ही दे रहा है। हमारी भारतीय क्रेडिट लाइन अब अपने अंत के करीब है। हम इसे बढ़ाने की बात कर रहे हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने आगे कहा कि भारत श्रीलंका को लगातार सहायता प्रदान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत में कुछ लोग पूछ रहे हैं कि वे हमें मदद क्यों दें। वे हमारी मदद करने से पहले हमसे कह रहे हैं कि हम पहले अपनी खुद की मदद करें।

श्रीलंका में बिजली क्षेत्र के एक संघ ने बुधवार को कहा कि वह नए सरकारी कानून के विरोध में आधी रात से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएगा, जिससे संभावित रूप से बिजली गुल हो सकती है।

इंजीनियर्स यूनियन ने कहा कि श्रीलंका की प्रमुख बिजली कंपनी सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के करीब 1,100 इंजीनियरों में से 900 गुरुवार को ड्यूटी पर नहीं आएंगे और जो पहले से ही बिजली संयंत्रों, पारेषण और वितरण सुविधाओं पर काम कर रहे हैं, वे आधी रात को रवाना हो जाएंगे। इस बीच, श्रीलंका ने यूरिया की खरीद के लिए भारत से 5.5 करोड़ डॉलर का कर्ज मांगा है।

भारत ने भोजन, दवा और ईंधन के लिए ऋण और खरीदारों के ऋण के रूप में 3.5 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका भोजन, ईंधन, दवाओं, रसोई गैस से लेकर टॉयलेट पेपर और माचिस की तीलियों तक जरूरी चीजों की भारी कमी से जूझ रहा है। पिछले कुछ महीनों से सीमित स्टॉक खरीदने के लिए लोगों को लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है।

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