चिटफंड से जुड़े शिक्षक नियुक्ति घोटाले के तार : अर्पिता और पार्थ ने बनाई थी फर्जी कंपनी

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राज्य के बड़े नेता पार्थ चटर्जी और उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के तार अब चिटफंड कंपनियों से भी जुड़ने लगे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने जांच में पाया है कि दोनों ने मिलकर एक फर्जी चिटफंड कंपनी खोली थी जिसके नाम पर वसूली करते रहे हैं।

ईडी के सूत्रों के मुताबिक अर्पिता के बेलघरिया फ्लैट में मिले एक दस्तावेज से ऐसी जानकारी मिली है। अनंत टेक्सफैब प्राइवेट लिमिटेड नाम की यह कंपनी केवल कागजी है। एक दर्जन ऐसी मुखौटा कंपनियां मिली हैं। ईडी अधिकारियों को लगता है कि इन फर्जी कंपनियों के जरिए काफी पैसा ट्रांसफर किया गया है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक इन्हीं फर्जी कंपनियों में से एक है ”अनंत टेक्सफैब प्राइवेट लिमिटेड”।

टाउन हाइट्स के एक फ्लैट से 28 करोड़ की नकदी मिली थी। उसी दिन फ्लैट में मिले एक दस्तावेज से इस कंपनी के ठिकाने का पता चला। कंपनी मामलों के मंत्रालय की जानकारी की जांच के बाद, इस कंपनी का वर्तमान पता क्लब टाउन का 8ए फ्लैट है।

ईडी के सूत्रों के मुताबिक यह फर्जी ”अनंत टेक्सफैब प्राइवेट लिमिटेड” कंपनी 2012 में बनाई गई थी। इसके पहले निदेशक हावड़ा के दो निवासी सुमित कुमार सिंह और सुभाष पाल थे। कंपनी के निगमन के समय पता 9/1 मोहनलाल बहावाला रोड, बाली, हावड़ा था। 10/10 बाली में बहावाला रोड पर पता चला कि सुमित कुमार सिंह वर्तमान में बैंगलोर में रहते हैं।

सुभाष पाल, जिन्हें कंपनी के निदेशक के रूप में नामित किया गया है, उसने बताया कि वह गरीब आदमी है उसे महीने में भुगतान करने की पेशकश की गई थी। इसी लालच में उसने हस्ताक्षर कर दिया था। कंपनी के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है।

ईडी के सूत्रों के मुताबिक, ”अनंत टेक्सफैब प्राइवेट लिमिटेड” के दोनों निदेशकों ने फरवरी, 2017 में इस्तीफा दे दिया था। तेघरिया निवासी मृणमय मालाकार और बिहार निवासी रनेश कुमार सिंह कंपनी के नए निदेशक बने। इन दोनों का कहना है कि उनके हस्ताक्षर फर्जी है और उन्हें कंपनी के बारे में कोई जानकारी नहीं।

ईडी अधिकारियों का दावा है कि 2019 में ”अनंत टेक्सफैब प्राइवेट लिमिटेड” का पता बदल गया। हावड़ा का पता क्लब टाउन हाइट्स में अर्पिता के बेलघरिया फ्लैट में बदला गया। नया ईमेल arpmymail@gmail.com है। यह ईमेल अर्पिता मुखर्जी का है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक ऐसी फर्जी कंपनियां या शेल कंपनियां बनाई गईं। खास बात यह है कि इन कंपनियों में निवेश संबंधी योजनाएं मिली हैं जिससे साफ है कि चिटफंड के नाम पर इन्हें चलाया जाता था। इसलिए अब पार्थ और अर्पिता से इस बारे में भी पूछताछ शुरू की गई है।

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