जम्मू-कश्मीर रियासत के आखिरी शासक महाराजा हरि सिंह का 26 अप्रैल 1961 को 65 वर्ष की उम्र में हृदयाघात से मुंबई में निधन हो गया था। आखिरी समय में परिवार का कोई सदस्य उनके साथ मौजूद नहीं था। इकलौता पुत्र विदेश में और पारिवारिक तनाव की वजह से धर्मपत्नी वर्षों से अलग रह रही थीं। […]
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25 अप्रैल 1982, यह भारतीय टेलीविजन के लिए नये सफर की शुरुआत थी। टीवी की तस्वीरें श्वेत-श्याम से रंगीन हो गई। जीती-जागती, धड़कती तस्वीरें, रंगों के साथ मिलकर भारतीय दर्शकों पर जादुई असर डाल रही थी। दूरदर्शन ने इस करिश्माई स्क्रीन की रंगीन जीवंत तस्वीरों को जब भारतीय दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया तो घर-घर […]
‘यदि कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या वह निश्चय ही गोरखा है।’- जनरल सैम मानेकशॉ गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी के किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है। गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना की बड़ी रेजिमेंट है और 60-80 हजार नेपाली गोरखा इसका हिस्सा हैं। 24 […]
सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा की इकलौती शख्सियत हैं, जिन्हें विश्व सिनेमा में सराहा गया और पद्मश्री से पद्म विभूषण, ऑस्कर अवॉर्ड से दादा साहेब फाल्के पुरस्कार तक मिला। इतना ही नहीं, 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 20वीं सदी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में शामिल सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को […]
कई यादगार फिल्मों के साथ टीवी सीरियल ‘महाभारत’ देने वाले निर्माता और निर्देशक बलदेव राज चोपड़ा (बीआर चोपड़ा) का जन्म 22 अप्रैल 1914 को लुधियाना में हुआ था।लाहौर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर बीआर चोपड़ा ने लाहौर में कुछ वर्षों तक एक फिल्मी पत्रिका में बतौर पत्रकार काम किया। जल्द ही लाहौर छोड़ दिल्ली और […]
तारीख- 21 अप्रैल 1989, स्थान- चीन की राजधानी बीजिंग का थियानमेन चौक। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और उदार सुधारवादी नेता हू याओबांग की मौत के बाद उनकी याद में काफी संख्या में छात्र-मजदूर एकजुट हुए थे। हू याओबांग को सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के लगातार विरोध के कारण हटा दिया […]
सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक रोनू मजूमदार ने भारतीय शास्त्रीय संगीत में बांसुरी को रेखांकित करते हुए कहा था कि ‘पंडित पन्नालाल घोष ने देवकी की तरह बांसुरी को जन्म दिया और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने यशोदा की तरह उसे पाला पोसा।’ नि:संदेह पंडित पन्नालाल घोष ने बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में पहचान दिलाई और […]
जेम्स ए. जिम कार्बेट, जिन्हें एक साथ कई अर्थों में याद किया जाता है- प्रभावी लेखक, वन्यजीव छायाकार, बेजोड़ शिकारी और वन्य जीव संरक्षण वादी। आयरिश मूल के जिम कार्बेट ने मानवाधिकारों के लिए संघर्ष किया और संरक्षित वनों का आंदोलन प्रारंभ किया। 25 जुलाई 1875 को पैदा हुए जिम कार्बेट ने नैनीताल के पास […]
पूरी दुनिया में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जनचेतना के लिए हर साल 18 अप्रैल विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की पहल पर 1972 में अंतरराष्ट्रीय संधि लागू की गई जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बिखरी ऐसी तमाम […]
भारत के संसदीय इतिहास के संदर्भ में 17 अप्रैल की तिथि का अहम स्थान है। 1947 में 15 अगस्त को ब्रितानी हुकूमत के पंजों से मुक्त होने के बाद भारत ने खुली हवा में सांस ली। इसके बाद कुछ साल तक संविधान सभा और अंतरिम सरकार का देश में शासन रहा। 25 अक्टूबर, 1951 से […]