इतिहास के पन्नों में 06 जनवरीः खलील जिब्रान को कौन नहीं जानता

देश-दुनिया के इतिहास में 06 जनवरी की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। इस तारीख का खास रिश्ता दुनिया के महान दार्शनिक खलील जिब्रान से है। जिब्रान का जन्म 06 जनवरी 1883 को लेबनान के बथरी नगर में एक संपन्न परिवार में हुआ था। 12 वर्ष की आयु में ही माता-पिता के साथ बेल्जियम, फ्रांस आदि देशों का भ्रमण करते हुए वह 1912 में अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंचे थे।

इसके बाद परिवार न्यूयॉर्क में रहने लगा।लेबनानी-अमेरिकी कवि खलील जिब्रान बड़े होकर न्यूयॉर्क पेन लीग से जुड़े। उन्हें अपने लेखन और चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा। जाति से बहिष्कृत कर देश निकाला तक दे दिया गया था। आधुनिक अरबी साहित्य में वह जिब्रान के नाम से प्रसिद्ध हैं।

उनके जीवन की कठिनाइयों की छाप और उनकी कृतियों में वर्तमान है। वह अपने विचार कहावत और सूक्ति के रूप में कागज के टुकड़ों और सिगरेट की डिब्बियों के गत्तों पर लिखते थे। उनकी सेक्रेटरी बारबरा यंग को उनके ज्यादातर साहित्य को छपवाया। उनकी रचनाएं 22 से अधिक भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उनका साहित्य हिन्दी, गुजराती, मराठी और उर्दू में भी उपलब्ध है।

48 वर्ष की आयु में कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल खलील जिब्रान का 10 अप्रैल 1931 को न्यूयॉर्क में देहांत हो गया। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।बाद में उन्हें जन्मभूमि के गिरजाघर में दफनाया गया। उनकी एक सूक्ति काफी प्रसिद्ध है। वह है-‘सत्य को जानना चाहिए पर उसको कहना कभी-कभी चाहिए।’

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