संदेशखाली जाने से भाजपा प्रतिनिधिमंडल को रोका, राज्यपाल से शिकायत, दिनभर हंगामा

कोलकाता : संदेशखाली हिंसा का जायजा लेने पहुंची भाजपा की छह सदस्यीय केंद्रीय समिति को वहां जाने से रोके जाने पर शुक्रवार को दिनभर हंगामा होता रहा। भाजपा की छह सदस्यीय केंद्रीय समिति में केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद शामिल थे।

संदेशखाली में महिलाओं के साथ हिंसा और यौन दुराचार की जांच करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की तरफ से समिति का गठन किया गया था। समिति में अग्निमित्रा पॉल भी शामिल थीं, जो सुबह संदेशखाली के लिए रवाना हो गई, लेकिन संदेशखाली से कुछ ही दूरी पर स्थित रामपुर में पुलिस ने उन्हें रोक दिया। जिसके बाद समिति के सदस्यों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हालांकि, समिति के सदस्यों ने दलील दी कि महज पांच लोग संदेशखाली में प्रवेश करेंगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इजाजत नहीं दी। पुलिस के रोके जाने के विरोध में समिति के सदस्य सड़क पर प्रदर्शन करने लगे।

समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन को इस बात का डर है कि कहीं संदेशखाली की महिलाएं फरार तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां को लेकर कोई बड़ा खुलासा ना कर दें। अग्निमित्रा पॉल ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मंशा साफ है। वो अपनी पार्टी के लोगों को बचाना चाहती हैं, जो प्रदेश में ऐसे जघन्य वारदातों के जिम्मेदार हैं।

इससे पहले गुरुवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में संदेशखाली जा रहे भाजपा विधायकों को भी पुलिस ने रोक दिया था। शुक्रवार को जब भाजपा की केंद्रीय टीम को रोका गया तो पार्टी प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस से मिल कर संदेशखाली में प्रशासन के बर्ताव को लेकर शिकायत की।

उल्लेखनीय है कि उच्चस्तरीय केंद्रीय समिति की संयोजक अन्नपूर्णा देवी हैं। दूसरे सदस्योंं में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक, सांसद सुनीता दुग्गल, सांसद कविता पाटीदार, सांसद संगीता यादव और बृजलाल (राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक) शामिल हैं। जहां एक तरफ भाजपा की केंद्रीय टीम को पुलिस ने रोक दिया, वहीं दूसरी तरफ तृणमूल की फैक्ट फाइंडिंग टीम को संदेशखाली में लोगों से बातचीत करते हुए देखा गया था।

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