राजभाषा कार्यान्वयन समिति (बैंक) का शैक्षणिक भ्रमण एवं संगोष्ठी सम्पन्न

शांतिनिकेतन : यूको बैंक के प्रधान कार्यालय द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति बैंक (कोलकाता) के तत्वावधान में ‘शैक्षणिक भ्रमण एवं विश्वभारती हिंदी : हजारी प्रसाद द्विवेदी’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि गुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कर्मभूमि शांतिनिकेतन के प्रांगण में संपन्न इस आयोजन में कोलकाता के 27 बैंक एवं बीमा कंपनियों ने भागीदारी की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वभारती शांतिनिकेतन के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष चंद्र राय ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से नए राजभाषा अधिकारी रवीन्द्र नाथ ठाकुर के हिंदी प्रेम तथा हजारी प्रसाद द्विवेदी की हिंदी सेवा से परिचित हो सकेंगे।

मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित हिंदी भवन (शांतिनिकेतन) के पूर्व आचार्य प्रो. रामेश्वर प्रसाद मिश्र ने कहा कि हजारी प्रसाद द्विवेदी अपनी राह स्वयं बनाते थे, उनका उद्देश्य भारत की चेतना को विश्व चेतना में सम्मिलित करने का था। उनकी इस दृष्टि का उन्मेष विश्वभारती में रहकर तथा रवीन्द्र नाथ की प्रेरणा से संभव हुआ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित निदेशक राजभाषा रेल मंत्रालय से डॉ. वरुण कुमार ने कहा कि हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध नवचेतना से आपूरित हैं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में आए यूको बैंक राजभाषा के पूर्व मुख्य प्रबंधक विजय कुमार यादव ने कहा कि द्विवेदी जी ने अपनी भाषा के लालित्य से हिंदी को एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा कि आचार्य द्विवेदी अगर शांतिनिकेतन नहीं गए होते तो वह केवल व्योमकेश शास्त्री ही रह गए होते।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और संगीत भवन (शांतिनिकेतन) के छात्र–छात्राओं के वेदगान से हुआ। उद्घाटन भाषण देते हुए विश्वभारती के कुलपति ( प्रभारी ) संजय कुमार मल्लिक ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम को संयोजित करके नराकास ( बैंक ) कोलकाता ने विश्वभारती शांतिनिकेतन के प्रांगण को धन्य कर दिया है।

कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रुति कुमुद ने किया तथा डॉ. शकुंतला मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस अवसर पर विभिन्न बैंकों और बीमा कंपनियों के राजभाषा अधिकारी, विश्वभारती के हिंदी विभाग के शोधार्थी, विद्यार्थी के साथ–साथ और भी सुधीजन उपस्थित थे।

कार्यक्रम को सफल बनाने में नराकास सचिवालय (यूको बैंक) के अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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