कोलकाता : पश्चिम बंगाल के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक बीरभूम जिले के तारापीठ में शनिवार को माँ तारा का अवतरण दिवस मनाया जा रहा है। ऐसी अवधारणा है कि आज ही के दिन शुक्ल चतुर्दशी को माँ तारा स्वर्ग से धरती पर भक्तों का कल्याण करने के लिए उतरी थीं इसीलिए पूरे भक्ति भाव से शनिवार को उनकी पूजा-अर्चना चल रही है।
सुबह के समय सबसे पहले कुमारी पूजा हुई। प्रात: चार बजे मंदिर के मूल प्रांगण में पश्चिम की तरफ मुख कर विश्राम मंच बनाया गया। सुबह में मंगला आरती हुई, उसके बाद माँ तारा को वैदिक रीति के मुताबिक शीतल भोग दिया गया। दोपहर को फल भोग दिया गया और संध्या को आरती के बाद पूजा संपन्न होगी। रात के समय तारा माँ को अन्न का भोग लगाने का रिवाज रहा है।
लोक कथाएं ऐसी हैं कि पाल वंश के शासन के दौरान तत्कालीन राजा को मां तारा ने स्वप्न में दर्शन दिया था और श्मशान से मूर्ति लाकर मंदिर में स्थापित करने को कहा था। उसके बाद महाराज जय दत्त सौदागर ने सपने के मुताबिक श्मशान में जाकर देखा कि वहां सच में माँ तारा की मूर्ति थी। उन्होंने भक्ति भाव से उसे उठाया और लाकर यहां स्थापित कर तारापीठ मंदिर बनवाया। जिस दिन मूर्ति स्थापना की गई उसी दिन चतुर्दशी थी, इसीलिए उसके बाद से आज के दिन लगातार माँ तारा के अवतरण दिवस की पूजा होती है।
बहुत सुन्दर विवरण।
जय माँ तारा 🌺