मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, 2 लोग गिरफ्तार

नयी दिल्ली : मुंडका इलाके में शुक्रवार की शाम को एक इमारत में भीषण आग लग गई। इस भीषण आग में 27 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग झुलस कर घायल हो गए। घायलों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर संजय गांधी अस्पताल भेजा गया। मौके पर पहुंची दमकल की 30 गाड़ियों ने सुबह 3.38 बजे आग पर काबू पाया। मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपित भाई हैं।दोनों इमारत की जिस फैक्टरी में आग लगी उसके मालिक वरुण गोयल और सतीश गोयल हैं। दोनों को लापरवाही से मौत की धाराओं और गैर इरादतन हत्या के तहत केस दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है।

जानकारी के अनुसार आग लगने के बाद इमारत में काम करने वाले ज्यादातर लोग फंस गए थे। सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से राहत और बचाव का काम शुरू किया गया। राहत बचाव में लगे कर्मियों ने रस्सी की मदद से आग की लपटों के बीच घिरे करीब सौ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसी दौरान एक महिला ने अपनी जान बचाने के लिए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी जिसे बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। रात दस बजे दमकल कर्मियों ने पहली और दूसरी मंजिल पर आग बुझाने के बाद सर्च अभियान चलाया। जहां से दमकलकर्मियों ने एक-एक कर 26 शवों को बाहर निकाला।

दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि तीसरी मंजिल पर सर्च अभियान नहीं चलाया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आग काबू करने के बाद आग लगने के सही कारणों का पता चल पाएगा। इस मामले में पुलिस इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा से भी पूछताछ कर रही है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आग इमारत की पहली मंजिल से शुरू हुई। जहां पर सीसीटीवी कैमरों और राउटर निर्माण कंपनी कोफे इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार की शाम करीब 4.45 बजे मुंडका के एक व्यवसायिक इमारत में आग लगने की जानकारी मिली। इस इमारत में कई कंपनियों के कार्यालय हैं। आग लगने के दौरान इन कार्यालय में काफी लोग मौजूद थे।

बताया जा रहा है कि सीसीटीवी वाली कंपनी से आग की शुरुआत हुई। कुछ ने आग लगते ही वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन ज्यादातर लोग आग में फँस गए। पहली मंजिल पर लगी आग तुरंत ऊपर की मंजिलों में फैल गई। इमारत से आग की लपटें निकलने लगीं। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भगाने लगे। इमारत में लगी आग को देखकर आस-पास के लोग वहां पहुंच गए और करीब 20 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस दौरान एक महिला ने तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी जिसे पास के अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस और दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर राहत बचाव का काम शुरू किया। पुलिस कर्मियों ने इमारत की खिड़कियां तोड़कर वहां फंसे करीब 80 लोगों को और रस्सी की मदद से बाहर निकाला, जिसमें से 12 लोग आग की चपेट में आकर मामूली रूप से झुलस गए थे। पुलिस ने घायलों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर संजय गांधी अस्पताल भेजा। दस बजे रात में पहली और दूसरी मंजिल की आग बुझाने के बाद दमकल कर्मियों ने सर्च अभियान चलाया। इस दौरान दोनों ही मंजिल से एक-एक कर 25 शवों को बरामद किया गया। दमकल अधिकारियों का कहना है कि अभी तीसरी मंजिल पर सर्च अभियान चलाया जाना बाकी है। दमकल कर्मियों ने और शव मिलने की आशंका जताई है।

घायलों के नाम

इस घटना में 12 लोग आग लगने से झुलस गए, जिनके नाम सतीश (38 वर्ष), प्रदीप (36), आशु (22), संध्या (22), धनवती (21), बिमला (43), हरजीत (23), आयशा (24), नितिन (24), ममता (52), अविनाश (29) जबकि एक व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई है।

घटना की कहानी पीड़ित की जुबानी

उमारत में फैक्टरी में काम करने वाले अंकित ने बताया कि जिस वक्त आग लगी वो सेकेंड फ्लोर पर मौजूद था और मोटिवेशनल क्लास चल रही थी। आग लगने के बाद धुंआ ऊपर की तरफ आया और जब वह सीढ़ियों से नीचे जाने लगे तो जा नहीं पाया, क्योंकि सीढ़ियों में धुंआ इतना था कि दम घुट रहा था। इसके बाद छज्जे की तरफ शीशा तोड़कर सेकेंड फ्लोर से रस्सी के सहारे नीचे आया। अंकित ने बताया कि प्रोडक्ट की सेल बढ़ाने के लिए ये क्लास रखी गई थी।

पूरी रात इस अस्पताल से उस अस्पताल तक भटकते रहे परिजन

एक लड़की पूजा के परिवार वाले अपनी उसकी तलाश के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। पूजा की उम्र 19 साल है और वह मुबारकपुर की रहने वाली है, फैक्टरी में पैकिंग का काम करती थी। उसकी छोटी बहन मोनी ने बताया कि दीदी रोज शाम 7 बजे तक आ जाती थी, पर जब वह नहीं आयी तो उसको फोन किया। फोन नहीं लगा। फिर उसे खोजने लगे, लोगों से पता चला जहां दीदी काम करती है, वहां आग लग गई है। कई घंटों से दीदी को खोज रहे हैं, उनका कुछ पता नहीं चल रहा है।

इसी क्रम में दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में तान्या चौहान उम्र 24 साल की माँ भी अपनी बेटी की तलाश के लिए पहुंची, जिसका रो रोकर बुरा हाल था। उक्त अस्पताल में मोनिका का परिवार भी उसको खोजते हुए आया। उसके भाई अजित का कहना है कि 7 बजे तक वो आ जाया करती थी, लेकिन आज नहीं आई। न्यूज में देखकर पता चला की वहां आग लग गई। वह पिछले 1 महीने पहले ही काम पर आई थी।

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