प्रधानमंत्री ने “विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज” पहल का किया शुभारंभ

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ”विकसित भारत 2047: युवाओं की आवाज” पहल का शुभारंभ किया किया। ”विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज” कार्यशाला युवा शक्ति के लिए विकसित भारत की यात्रा में सक्रिय रूप से शामिल होने और योगदान देने का एक अद्भुत मंच है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर संबोधन में कहा कि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होता है। भारत के इतिहास का ये वो दौर है जब देश लंबी छलांग लगाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति और संगठन को इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए कि वे जो भी करेंगे, वह ”विकसित भारत” के लिए करेंगे।

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उन्होंने कहा कि आज विकसित भारत के संकल्पों को लेकर बहुत ही अहम दिन है। उन्होंने इस वर्कशाप का आयोजन करने के लिए सभी राज्यपालों को विशेष बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की युवाशक्ति को दिशा देने का दायित्व जिन साथियों पर है, उनको आप एक मंच पर लाए हैं। शिक्षण संस्थानों की भूमिका व्यक्ति निर्माण की होती है और व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्रनिर्माण होता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें एक ऐसी युवा पीढ़ी तैयार करनी है जो देश को नेतृत्व दे, हर चीज पर राष्ट्रहित को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया की नजर भारत के युवाओं पर है। युवा शक्ति परिवर्तन का वाहक भी है और परिवर्तन का लाभार्थी भी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कुलपतियों और शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से कहा कि आपको अपने संस्थानों में नामांकित छात्रों के लिए रोल मॉडल बनने की जरूरत है। एक शिक्षक के रूप में, आपको यह सोचना चाहिए कि आप देश को विकास दिलाने में क्या मदद कर सकते हैं। इसी तरह, विश्वविद्यालयों को भी भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

युवाओं के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का आंदोलन में युवा पीढ़ी की अहम भूमिका रही है। ऐसे संकल्प लें जो कुछ भी करूंगा वह विकसित भारत के लिए करूंगा। उन्होंने कहा कि आज हर व्यक्ति, हर संस्था और हर संगठन को इस प्रण के साथ आगे बढ़ना है कि मैं जो कुछ भी करूंगा वो विकसित भारत के लिए होना चाहिए। आपके लक्ष्य, आपके संकल्पों का ध्येय केवल विकसित भारत ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के नागरिक जब देश के हित की सोचेंगे, तभी एक सशक्त समाज का निर्माण होगा। जिस तरह समाज का मानस होता है, वैसी ही झलक हमें शासन-प्रशासन में नजर आती है।

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