युद्ध की विभीषिका से उपजे संकट के बीच इंसानी पीढ़ियों को बचाने के लिए एक विश्वव्यापी अधिकार संपन्न संस्था की जरूरत हुई। इसी वैश्विक चिंता ने संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था को जन्म दिया। इस संगठन की सबसे प्रमुख इकाई सुरक्षा परिषद् की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को लंदन में हुई, जिसमें कार्यवाही के नियम […]
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छत्रपति शिवाजी की अमर कहानियों के बीच उनके पुत्र और रायगढ़ के शासक संभाजी की वीरता भुला दी जाती है। आज 16 जनवरी को याद करना प्रासंगिक होगा कि आज ही के दिन संभाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। सूबे के प्रति समर्पण ऐसी कि औरंगजेब ने रायगढ़ पर कब्जे के लिए 100 से अधिक […]
देश 15 जनवरी को हर वर्ष सेना दिवस मनाता है, जो थल सेना के अदम्य साहस का स्मरण का दिन है। इस दिन दिल्ली के सेना मुख्यालय के साथ-साथ देश के हर हिस्से में सैन्य संस्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और उन वीर सपूतों को सलामी दी जाती है जिन्होंने देश की […]
पद्मश्री, ज्ञानपीठ, पद्म विभूषण, बंग विभूषण सहित कई दूसरे सम्मानों से प्रतिष्ठित लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को अविभाजित भारत के ढाका में हुआ था। उनके पिता मनीष घटक और मां धारीत्री देवी नामचीन लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। ढाका से शुरुआती पढ़ाई के बाद महाश्वेता देवी ने विश्वभारती विवि, शांति निकेतन […]
एक ऐसा डॉक्टर जो अपने मरीजों में जिंदगी नहीं, मौत बांटने के लिए कुख्यात था। ऐसा दरिंदा जो मां की मौत के बाद अपने अस्पताल में आने वाली बुजुर्ग महिला मरीजों को बिना किसी वजह के मौत के घाट उतार देता था। उसकी खूनी सनक का शिकार हुई महिलाओं के अंतिम संस्कार में भी वह […]
शास्त्रीय गायन में अनेकानेक दिग्गज हुए जिन्होंने न केवल संगीत की पूरी धारा को प्रभावित किया बल्कि किसी खास कालखंड का प्रतिनिधित्व किया। ऐसे ही दिव्य सांस्कृतिक विभूति के रूप में रेखांकित किये गए हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत के माहिर गायक पंडित कुमार गंधर्व। निर्गुन गायन में विशिष्ट पहचान रखने वाले कुमार गंधर्व ने कबीर […]
साल 1965 की लड़ाई के दौरान भारत पर दबाव बनाने की मंशा से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जानसन ने धमकी का दांव चला। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को कहा कि अगर पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई बंद नहीं की गयी तो भारत को पीएल 480 के तहत जो लाल गेहूं अमेरिका भेजता है, उसे […]
उनकी फिल्मों की कहानियां आम जिंदगी के करीब इतने कि उसके फिल्मी होने को लेकर शक पैदा होने लगे। नायक का चेहरा-मोहरा और ढंग-ढर्रे ऐसा कि उस दौर का हर मामूली नौजवान उससे वाबस्ता था। बासु चटर्जी की फिल्में मध्यम वर्ग के सपनों और दुविधाओं की नायाब कहानियां हैं। एक समय जिसे समानांतर सिनेमा/ आर्ट […]
आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए बलिदान होने वाले रणबांकुरों को याद करने का भी अवसर है। सच यह है कि ऐसे शहीदों को इतिहास ने उनकी गरिमा के अनुरूप याद नहीं किया। ऐसे ही एक मातृभूमि-भक्त थे राजा नाहर सिंह। उन्हें आज ही की तिथि (9 जनवरी) को फांसी दी गई थी। […]
ऐसी बालिका जिसकी शिक्षा पर पाबंदी थी, आगे चलकर न केवल साहित्यकार बनीं बल्कि बंकिमचंद्र, रवींद्रनाथ टैगोर और शरदचंद्र की गौरवशाली त्रयी के बाद बांग्ला साहित्य व समाज को सबसे अधिक आशापूर्णा देवी ने समृद्ध और प्रभावित किया। वे भारत की पहली महिला लेखिका बनीं, जिन्हें 1976 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 8 […]