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इतिहास के पन्नों में : 13 मार्च – भारतीयों के हत्यारे को सबक सिखाने का एक और दिन

यूं तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत दिन और घटनाएं इतिहास के पन्नों में अमिट हैं, फिर में इनमें से कुछ तिथियां लोगों के दिल में बस गईं हैं। इन्हीं दिनों में से एक है 13 मार्च,1940 की तिथि। इस तिथि की पृष्ठभूमि 13 अप्रैल,1919 को ही लिख गई थी, जब जलियांवाला बाग में बैसाखी […]

इतिहास के पन्नों मेंः 12 मार्च – 12 तारीख, 12 धमाके

वह काला दिन जब सिलसिलेवार 12 बम धमाकों ने मायानगरी मुंबई को दहला कर रख दिया। पूरा देश इस घटना से सन्न रह गया। दुनिया के लिए खूनी खेल का यह मंजर हैरान करने वाला था। दुनिया सिलसिलेवार बम धमाका पहली बार देख रही थी। दरअसल, 12 मार्च 1993 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 28 […]

इतिहास के पन्नों मेंः 11 मार्च – तबाही का वो मंजर

11 मार्च 2011 की तारीख भयावह याद के रूप में जापान के लोगों के जेहन में है। इस दिन जापान में अबतक का सबसे बड़ा भूकंप आया, जिसके बाद विकराल और विनाशकारी सुनामी ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। जापान में प्रशांत तट पर तोहोकू के करीब समुद्र में 9 तीव्रता के भूकंप […]

इतिहास के पन्नों में : 08 मार्च – सरदार पटेल के आग्रह पर जो मुख्यमंत्री बने

गांधी स्मारक निधि के प्रथम अध्यक्ष रहे स्वतंत्रता सेनानी डॉ. गोपीचंद भार्गव ने लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के अनुरोध पर संयुक्त पंजाब के प्रथम मुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया। 8 मार्च 1889 में हिसार जिले में पैदा हुए गांधीवादी नेता डॉ. भार्गव ने देश के विभाजन से पैदा हुई कटुता के सबसे कठिन दौर […]

इतिहास के पन्नों में : 07 मार्च – आवश्यकता आविष्कार की जननी है

1949 में बनी फिल्म ‘पतंगा’ का शमशाद बेगम की आवाज में गाया गाना भारतीय दर्शकों के लिए आजतक जाना-सुना लगता है- ‘मेरे पिया गए रंगून, किया है वहां से टेलीफून।’ यह फिल्मी गीत चमत्कार जैसा कारनामा करने वाले टेलीफोन से भारतीय जनमानस का एक तरह से पहला सार्वजनिक परिचय भी था। हालांकि इससे तकरीबन 73-74 […]

इतिहास के पन्नों में : 6 मार्च – जब ‘युवा तुर्क’ ने छोड़ी कुर्सी

चंद्रशेखर भारतीय राजनीति में एक ऐसा नाम, जिसने सत्तारूढ़ पार्टी में रहते हुए इंदिरा गांधी सरकार की ओर से देश पर थोपे गये आपात काल का विरोध किया। इसके पहले ही अपने चिर विद्रोही की भूमिका के कारण वे युवा तुर्क की पहचान रखने वाले नेताओं में शुमार हो चुके थे। ऐसे चंद्रशेखर ने उसी […]

इतिहास के पन्नों में : 05 मार्च – जब भारतीयों को फिर मिला नमक बनाने का अधिकार

भारतीय इतिहास में 5 मार्च 1931 कभी न भूलने वाले अवसर के रूप में याद किया जाता है। यह दिन महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुए एतिहासिक समझौते के लिए याद किया जाता है, जिसे गांधी-इरविन समझौता कहा गया। इस समझौते का सबसे अहम बिंदु था- भारतीयों को समुद्र किनारे नमक […]

इतिहास के पन्नों में : 03 मार्च – प्रकृति और जीव-जंतुओं की रक्षा का संकल्प

मानव जीवन के लिए पेड़- पौधे और दूसरे जीव-जंतु भी बेहद जरूरी हैं। यह बात लंबे अरसे से समझी जा रही थी, जिसे दुनिया ने तीन मार्च 1973 को संकल्पबद्ध किया। उस दिन पेड़-पौधे और पशुओं की रक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ। वॉशिंगटन में हुए समझौते को कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एनडेंजर्ड […]

इतिहास के पन्नों में : 02 मार्च – अमेरिका ने जब दास प्रथा पर लगायी रोक

यह अजीब है कि आज अपने को सर्वश्रेष्ठ समझने का दावा करने वाली पश्चिमी सभ्यता के लंबे इतिहास में मनुष्य को ही मनुष्य के गुलाम बनाए रखने का काला अध्याय शामिल है। लगभग 900 ई.पू. में कवि होमर ने जिस दास प्रथा का उल्लेख किया है। 800 ई. पू.के बाद तो यूनानी उपनिवेशों में यह […]

इतिहास के पन्नों में : 28 फरवरी – जब नेहरू जी हैरान रह गए

देश की स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने अहम प्रश्न था कि आर्मी चीफ किसे बनाया जाय? इसपर मंथन के लिए उन्होंने मंत्रिमंडल सहयोगियों और आर्मी अफसरों की बैठक बुलाई। नेहरू जी का मत था कि किसी अंग्रेज अफसर को भारतीय सेना का चीफ बना दिया जाए क्योंकि सेना का नेतृत्व करने वाले […]