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इतिहास के पन्नों में 29 अप्रैलः 383 वर्ष का हो गया लाल किला

कभी-कभी अतीत के पन्ने पलटने पर सुखद अहसास होता है। आंखों में इतिहास कौंध जाता है। दिल्ली के लाल किला को देखकर भारत के ‘वो’ दिन याद आने लगते हैं। लाल पत्थर से दिल्ली के बीचों बीच बनी यह इमारत अपनी भव्यता के लिए हर किसी का ध्यान आकर्षित करती है। इसकी मजबूती, बेहतरीन स्थापत्य […]

इतिहास के पन्नों में 28 अप्रैलः भारत का आखिरी गांव हुआ रोशन

देश और दुनिया के गुजरे लम्हों की कुछ तारीखें ऐसी होती हैं, जिनका जिक्र आते ही आंखों में इतिहास कौंधने लगता है। भारत के संदर्भ में 28 अप्रैल का कुछ ऐसा ही ‘ऐतिहासिक’ महत्व है। चार साल पहले 2018 में 28 अप्रैल की तिथि देश के विकास में मील का पत्थर बन गई। इसी दिन […]

इतिहास के पन्नों में: 27 अप्रैल – अभिनय, संन्यास और राजनीति

एक अरसे तक भारतीय फिल्मों का प्रमुख चेहरा रहे विनोद खन्ना का 27 अप्रैल 2017 को ब्लड कैंसर से निधन हो गया था। विनोद खन्ना ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किये जाते हैं जिनका मायानगरी से मोहभंग हुआ तो आध्यात्मिक शांति के लिए आचार्य रजनीश की शरण में गए। लेकिन कुछ वर्षों बाद अभिनय […]

इतिहास के पन्नों मेंः 26 अप्रैल – महाराजा जिनके आखिरी समय में कोई अपना नहीं था

जम्मू-कश्मीर रियासत के आखिरी शासक महाराजा हरि सिंह का 26 अप्रैल 1961 को 65 वर्ष की उम्र में हृदयाघात से मुंबई में निधन हो गया था। आखिरी समय में परिवार का कोई सदस्य उनके साथ मौजूद नहीं था। इकलौता पुत्र विदेश में और पारिवारिक तनाव की वजह से धर्मपत्नी वर्षों से अलग रह रही थीं। […]

इतिहास के पन्नों में: 25 अप्रैल – जब टीवी पर उतरा रंगों का मेला

25 अप्रैल 1982, यह भारतीय टेलीविजन के लिए नये सफर की शुरुआत थी। टीवी की तस्वीरें श्वेत-श्याम से रंगीन हो गई। जीती-जागती, धड़कती तस्वीरें, रंगों के साथ मिलकर भारतीय दर्शकों पर जादुई असर डाल रही थी। दूरदर्शन ने इस करिश्माई स्क्रीन की रंगीन जीवंत तस्वीरों को जब भारतीय दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया तो घर-घर […]

इतिहास के पन्नों में : 24 अप्रैल – शौर्य और वीरता का अद्भुत अध्याय

‘यदि कोई कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, वह या तो झूठ बोल रहा है या वह निश्चय ही गोरखा है।’- जनरल सैम मानेकशॉ गोरखा रेजिमेंट की बहादुरी के किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है। गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना की बड़ी रेजिमेंट है और 60-80 हजार नेपाली गोरखा इसका हिस्सा हैं। 24 […]

इतिहास के पन्नों मेंः 23 अप्रैल – जिन्होंने भारतीय फिल्मों का चेहरा गढ़ा

सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा की इकलौती शख्सियत हैं, जिन्हें विश्व सिनेमा में सराहा गया और पद्मश्री से पद्म विभूषण, ऑस्कर अवॉर्ड से दादा साहेब फाल्के पुरस्कार तक मिला। इतना ही नहीं, 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 20वीं सदी के सर्वोत्तम फिल्म निर्देशकों में शामिल सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921 को […]

इतिहास के पन्नों मेंः 22 अप्रैल – टीवी पर ‘महाभारत’ को जीवंत करने वाला फिल्मकार

कई यादगार फिल्मों के साथ टीवी सीरियल ‘महाभारत’ देने वाले निर्माता और निर्देशक बलदेव राज चोपड़ा (बीआर चोपड़ा) का जन्म 22 अप्रैल 1914 को लुधियाना में हुआ था।लाहौर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर बीआर चोपड़ा ने लाहौर में कुछ वर्षों तक एक फिल्मी पत्रिका में बतौर पत्रकार काम किया। जल्द ही लाहौर छोड़ दिल्ली और […]

इतिहास के पन्नों मेंः 21 अप्रैल – ड्रैगन की क्रूरता का खूनी चौराहा

तारीख- 21 अप्रैल 1989, स्थान- चीन की राजधानी बीजिंग का थियानमेन चौक। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व महासचिव और उदार सुधारवादी नेता हू याओबांग की मौत के बाद उनकी याद में काफी संख्या में छात्र-मजदूर एकजुट हुए थे। हू याओबांग को सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के लगातार विरोध के कारण हटा दिया […]

इतिहास के पन्नों में: 20 अप्रैल – बांसुरी का मसीहा

सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक रोनू मजूमदार ने भारतीय शास्त्रीय संगीत में बांसुरी को रेखांकित करते हुए कहा था कि ‘पंडित पन्नालाल घोष ने देवकी की तरह बांसुरी को जन्म दिया और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने यशोदा की तरह उसे पाला पोसा।’ नि:संदेह पंडित पन्नालाल घोष ने बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में पहचान दिलाई और […]