पश्चिम बंगाल वित्तीय प्रदर्शन में पिछड़ा, राजस्व संग्रह और खर्च की गुणवत्ता चिंताजनक: नीति आयोग

कोलकाता : नीति आयोग द्वारा जारी ‘फिस्कल हेल्थ इंडेक्स: 2025’ रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल को राजस्व संग्रह, खर्च की गुणवत्ता और ऋण सूचकांक में खराब प्रदर्शन के लिए रेखांकित किया गया है। नई दिल्ली में 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया द्वारा जारी इस रिपोर्ट में 18 प्रमुख राज्यों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया गया जिसमें पश्चिम बंगाल को 16वां स्थान मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा खर्च की गुणवत्ता सबसे बड़ा चिंता का विषय है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018-19 में भौतिक अवसंरचना पर खर्च, कुल खर्च का 5.3 फीसदी था, जो 2022-23 में घटकर तीन फीसदी रह गया, जो राष्ट्रीय औसत से कम है। इसके अलावा, पूंजीगत व्यय में भी गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़ा 2018-19 में 12.2 फीसदी था, जो 2022-23 में घटकर 8.3 फीसदी हो गया और यह भी राष्ट्रीय औसत से कम है। हालांकि, सामाजिक व्यय के तहत कुल खर्च का अनुपात 2022-23 में 28.2 फीसदी रहा, जो राष्ट्रीय औसत से थोड़ा बेहतर है लेकिन फिर भी यह पर्याप्त नहीं है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य का कर राजस्व, मुख्य रूप से कर संग्रह के कारण, पिछले पांच वर्षों में 6.6 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ा है। हालांकि, गैर-कर राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है। साथ ही, अनुदान सहायता पर राज्य की निर्भरता बढ़ी है। 2018-19 में यह 17.6 फीसदी थी, जो 2022-23 में बढ़कर 19.6 फीसदी हो गई।

ऋण पर रिपोर्ट में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल का ऋण-जीएसडीपी अनुपात 2010-11 में 40.7 फीसदी से घटकर 2018-19 में 35.7 फीसदी हुआ लेकिन कर्ज पर ब्याज भुगतान चिंता का विषय है। रिपोर्ट के अनुसार, “राजस्व प्राप्तियों का 20.47 फीसदी हिस्सा ब्याज भुगतान में खर्च हो रहा है, जिससे विकास के लिए धन आवंटित करना मुश्किल हो रहा है।”

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