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इतिहास के पन्नों में : 24 जनवरी – सुर और सुरक्षा को हुआ भारी नुकसान

“मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा” यह धुन दिलो-दिमाग को एक भारत-सशक्त भारत का अहसास करा जाता है। साथ ही इसे आवाज देने वालों में प्रमुख गायकों के साथ सबसे पहले पंडित भीमसेन जोशी का ख्याल आता है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, भूपेन हजारिका और बाल मुरलीकृष्ण जैसे गायकों के साथ सागर सी […]

इतिहास के पन्नों में : 23 जनवरी – तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा

‘भोर से पहले अंधेरा सबसे गहन होता है। यह वही घड़ी है जब सबसे गहरा अंधेरा है। बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो। आजादी आपके हाथ में है।’ 31 अगस्त 1942 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस का आजाद हिंद रेडियो (जर्मनी) से राष्ट्र के नाम लंबे संदेश का हिस्सा। 23 जनवरी 1897 को ओड़िसा के कटक […]

इतिहास के पन्नों में : 22 जनवरी – ‘चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है’

भजन गायकी में अपने खास अंदाज की छाप छोड़ने वाले नरेंद्र चंचल का 22 जनवरी 2021 को निधन हो गया। अमृतसर में नामक मंडी के एक पंजाबी परिवार में 16 अक्टूबर 1940 को पैदा हुए नरेंद्र चंचल ने बचपन से ही मां कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते सुना। इससे पैदा हुई रुचि के बाद […]

इतिहास के पन्नों में : 21 जनवरी – मूर्तिदेवी सम्मान पाने वाली पहली महिला लेखिका

मूर्तिदेवी सम्मान पाने वाली पहली महिला लेखिका प्रतिभा राय ओड़िया भाषा की सुप्रतिष्ठित लेखिका हैं, जिनका आधुनिक ओड़िया साहित्य में व्यापक योगदान है। उनके कुछ उपन्यासों को हिंदी के पाठकों ने भी हाथोंहाथ लिया, जिन उपन्यासों का हिंदी अनुवाद उपलब्ध है। इनमें मुख्य रूप से दो उपन्यास ‘शिलापद्म’ का हिंदी अनुवाद ‘कोणार्क’ और बहु प्रशंसित […]

इतिहास के पन्नों में: 20 जनवरी – …बस यही गठरी तो बची है, इसे भी दे दूं

देश का विभाजन हुए करीब 22 साल गुजर चुके थे। 1969 में भारत सरकार के आग्रह पर खान अब्दुल गफ्फार खान, इलाज के लिए पाकिस्तान से भारत आए। भव्य व्यक्तित्व के मालिक रहे खान अब्दुल गफ्फार खान इस बार बिल्कुल टूटे, मायूस और हताश जान पड़ते थे। उनकी आगवानी के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी […]

इतिहास के पन्नों में : 19 जनवरी – संभावनाओं से भरी यात्रा का दुखांत

‘न कभी जन्मे, न कभी मरे। वे धरती पर 11 दिसंबर 1931 से 19 जनवरी 1990 के बीच आए थे।’- पुणे स्थित ओशो की समाधि पर अंकित शब्द। अपने दौर को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले आध्यात्मिक गुरु आचार्य रजनीश उर्फ ओशो, सर्वाधिक विवादास्पद शख्सियत भी रहे। जीवन को लेकर अन्य महान धर्मगुरुओं से ओशो […]

इतिहास के पन्नों में : 18 जनवरी – ‘बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए’

हिंदी फिल्म उद्योग के पहले सुपरस्टार अभिनेता और गायक कुंदनलाल सहगल का महज 43 साल की उम्र में 18 जनवरी 1947 को जालंधर में निधन हो गया। अपने दो दशक के सिने करियर में उन्होंने 36 फिल्मों में अभिनय किया जिसमें करीब 185 गीत गाए। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सहगल ने हिंदी, उर्दू, बांग्ला, पंजाबी, […]

इतिहास के पन्नों में : 17 जनवरी – दुनिया में शांति की संरक्षक संस्था

युद्ध की विभीषिका से उपजे संकट के बीच इंसानी पीढ़ियों को बचाने के लिए एक विश्वव्यापी अधिकार संपन्न संस्था की जरूरत हुई। इसी वैश्विक चिंता ने संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था को जन्म दिया। इस संगठन की सबसे प्रमुख इकाई सुरक्षा परिषद् की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को लंदन में हुई, जिसमें कार्यवाही के नियम […]

इतिहास के पन्नों में : 16 जनवरी – छत्रपति शिवाजी की ही तरह मातृभूमि भक्त पुत्र संभाजी

छत्रपति शिवाजी की अमर कहानियों के बीच उनके पुत्र और रायगढ़ के शासक संभाजी की वीरता भुला दी जाती है। आज 16 जनवरी को याद करना प्रासंगिक होगा कि आज ही के दिन संभाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। सूबे के प्रति समर्पण ऐसी कि औरंगजेब ने रायगढ़ पर कब्जे के लिए 100 से अधिक […]

इतिहास के पन्नों में : 15 जनवरी – साहस व शौर्य के स्मरण का दिन

देश 15 जनवरी को हर वर्ष सेना दिवस मनाता है, जो थल सेना के अदम्य साहस का स्मरण का दिन है। इस दिन दिल्ली के सेना मुख्यालय के साथ-साथ देश के हर हिस्से में सैन्य संस्थानों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और उन वीर सपूतों को सलामी दी जाती है जिन्होंने देश की […]