Tag Archives: History

इतिहास के पन्नों में : 25 फरवरी – लोक कथाओं का हाजिरजवाब नायक

बात बीरबल की, जो अकबर के दरबार में प्रमुख वजीर और बादशाह के नौ रत्नों में एक थे। बुद्धिमत्ता और मेधा के लिए विख्यात बीरबल इतिहास में मिथक के रूप में याद किये जाते हैं, जिनके पास हर मुश्किल सवाल का दिलचस्प जवाब था। कहा जाता है कि 25 फरवरी 1586 को स्वात और बाजौर […]

इतिहास के पन्नों मेंः 24 फरवरी – पहला स्वामीनारायण मंदिर

अहमदाबाद में 24 फरवरी 1822 को दुनिया का पहला स्वामीनारायण मंदिर बनकर तैयार हुआ। बारीक नक्काशी के लिए मशहूर यह मंदिर श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था का केंद्र है। जिसे स्वामीनारायण मंदिर या अक्षरधाम भी कहा जाता है। आज भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में स्वामीनारायण मंदिर हैं। अकेले अमेरिका में 30 स्वामीनारायण मंदिरों […]

इतिहास के पन्नों में : 23 फरवरी – नाच्यो बहुत गोपाल

पद्म भूषण से सम्मानित सुप्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर का 23 फरवरी 1990 को निधन हो गया। वे हिंदी साहित्य लेखन की क्लासिकल परंपरा की आखिरी पीढ़ी में शामिल साहित्यकार थे। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद और शरदचंद चट्टोपाध्याय से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 को आगरा में एक गुजराती ब्राह्मण […]

इतिहास के पन्नों में : 22 फरवरी – जिसने हिंदी सिनेमा को ‘प्रेम’ दिया

जिस वक्त दूसरे फिल्मकार मारधाड़ और नाटकीयता भरी फिल्में बना रहे थे, उस दौर में निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक सूरज बड़जात्या ने भारतीय समाज और परिवार पर भरोसा कर फिल्म बनाने का साहस किया। भारतीय साझा परिवारों की पृष्ठभूमि में साफ-सुथरे पारिवारिक मेलोड्रामा, भारतीय शादियां व उसके रस्म-रिवाज, सुमधुर गानों की भरमार वाली सूरज बड़जात्या […]

इतिहास के पन्नों में : 21 फरवरी – ‘आमार भायेर रोक्ते रांगानो एकुशे फरवरी’

बांग्ला में लिखे गीत की इस पंक्ति का अर्थ है- 21 फरवरी मेरे भाइयों के खून से सना है। इस गीत की पृष्ठभूमि यह है कि 21 फरवरी 1952 को सर्वदलीय केंद्रीय भाषा संग्राम समिति ने बांग्ला को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की आधिकारिक भाषा बनाने की मांग को लेकर ढाका विश्वविद्यालय में आंदोलन शुरू […]

इतिहास के पन्नों में : 19 फरवरी – रेलवे आरक्षण में बदलाव का अहम दिन

16 अप्रैल 1853 में बाम्बे और ठाणे के बीच पहली बार भारतीय रेल जब पटरी पर दौड़ी तो अंदाजा लगाना मुश्किल था कि यह कितना लंबा सफर होगा। इस सफर के लगभग 169 साल बाद दुनिया के पांच सबसे बड़े नेटवर्क वाला भारतीय रेल आज हमारे सामने है। देश के सुदूरतम हिस्सों को एक-दूसरे से […]

इतिहास के पन्नों में : 18 फरवरी – आध्यात्मिक चेतना के प्रसार में जीवन लगाया

भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में शामिल वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक चैतन्य महाप्रभु का आध्यात्मिकता के प्रसार के साथ कई दूसरे क्षेत्रों में भी अहम योगदान है। उन्होंने अराजक और अस्थिरता भरे दौर में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया, जाति व ऊंच-नीच के भेदभाव को दूर करने का अहम संदेश दिया। विलुप्त […]

इतिहास के पन्नों में : 17 फरवरी – आदि क्रांतिकारी का निधन

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का ऐसा क्रांतिकारी, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का शंखनाद किया। वासुदेव बलवंत फड़के ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को संगठित रूप देने वाले पहले क्रांतिकारी माने जाते हैं। ब्रिटिश काल में गुलामी में जकड़े भारतीय समाज को देखकर फड़के का मन विचलित हो उठा और उनका दृढ़ विश्वास था […]

इतिहास के पन्नों में: 16 फरवरी – हिंदी सिनेमा के पितामह का निधन

16 फरवरी 1944 को हिंदी सिनेमा के पितामह, सूत्रधार और महान स्वप्नदर्शी फिल्मकार दादा साहब फाल्के का निधन हो गया। उनके सम्मान में दिया जाने वाला दादा साहब फाल्के पुरस्कार, भारतीय सिने जगत का सर्वाधिक प्रतिष्ठित सम्मान है। दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को त्र्यंबकेश्वर नामक तीर्थस्थल के करीब हुआ था। उनका […]

इतिहास के पन्नों में : 15 फरवरी – खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी

पाठ्य-पुस्तकों में शामिल कविता की ये पंक्तियां बाल मन पर जादुई असर करती है- चमक उठी सन सत्तावन की वह तलवार पुरानी थी/ बुंदेले हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी/ खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसीवाली रानी थी। ये पंक्तियां अमर कविता ‘झांसी की रानी’ का हिस्सा है। राष्ट्रीय चेतना की मुखर कवयित्री सुभद्रा […]